New Tax Rule 2025 (कर नियम) : देश में टैक्स को लेकर हर नौकरीपेशा और बिजनेस करने वाले इंसान के मन में एक ही सवाल रहता है – “कैसे टैक्स से बचा जाए, वो भी लीगल तरीके से?” अगर आप भी ये सोच रहे हैं कि सालाना ₹19.20 लाख कमाकर भी टैक्स न देना पड़े, तो यकीन मानिए, ये अब मुमकिन है। हां, इसमें न कोई जुगाड़ है, न ही कोई गलत तरीका – ये सब सरकार के ही बनाए हुए नियमों और छूट के दायरे में होता है। आज हम आपको एक ऐसा तरीका बताएंगे जिससे मिडिल क्लास व्यक्ति भी अपनी टैक्स देनदारी को शून्य कर सकता है।
New Tax Rule 2025 : कौन-कौन कर सकता है इसका फायदा?
- नौकरीपेशा लोग (Salaried Employees)
- फ्रीलांसर या कंसल्टेंसी से कमाने वाले
- स्मॉल बिजनेस चलाने वाले
- पेंशन पाने वाले बुजुर्ग
- निवेशकों के लिए भी कुछ ऑप्शन मौजूद हैं
आइए समझते हैं पूरा गणित – ₹19.20 लाख पर टैक्स ज़ीरो कैसे?
सरकार ने आयकर अधिनियम में कई ऐसी छूटें (Deductions) और छूट की लिमिट (Exemption Limits) दी हैं, जिन्हें समझदारी से इस्तेमाल करके आप अपनी टैक्सेबल इनकम को काफी कम कर सकते हैं। नीचे एक सिंपल उदाहरण से समझते हैं।
आय और छूट की गणना का उदाहरण:
आय के स्रोत | वार्षिक राशि (₹ में) |
---|---|
वेतन | 19,20,000 |
स्टैंडर्ड डिडक्शन (Sec 16) | -50,000 |
HRA छूट (अनुमानित) | -2,40,000 |
PPF/LIC/80C के तहत निवेश | -1,50,000 |
NPS में निवेश (80CCD(1B)) | -50,000 |
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम (80D) | -50,000 |
होम लोन का ब्याज (Section 24b) | -2,00,000 |
बच्चों की ट्यूशन फीस (80C में) | -60,000 |
एजुकेशन लोन पर ब्याज (80E) | -1,00,000 |
दान (Section 80G) | -1,00,000 |
कुल छूट: ₹9,50,000 (लगभग)
टैक्सेबल इनकम: ₹9,70,000
अब इस इनकम पर भी आप ₹7 लाख तक की Rebate (धारा 87A) के तहत छूट पा सकते हैं और टैक्स लगभग ज़ीरो हो जाएगा। वहीं, बचे हुए अमाउंट पर भी बहुत कम टैक्स देना पड़ेगा या रिफंड मिल सकता है।
कौन-कौन से सेक्शन हैं मददगार?
- Section 80C – ₹1.5 लाख तक की छूट (PPF, LIC, ट्यूशन फीस, PF आदि)
- Section 80CCD(1B) – NPS के तहत ₹50,000 की अतिरिक्त छूट
- Section 80D – हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर ₹50,000 तक की छूट
- Section 24(b) – होम लोन के ब्याज पर ₹2 लाख तक की छूट
- Section 80E – एजुकेशन लोन पर ब्याज की पूरी छूट
- Section 80G – दान पर 50% या 100% तक की छूट
इस प्लानिंग से किसे क्या फायदा?
- नौकरीपेशा लोग टैक्स बचाने के लिए हर साल टेंशन में रहते हैं। अगर वो साल की शुरुआत में ही ये योजना बना लें तो साल के अंत में TDS कटने की नौबत नहीं आएगी।
- फ्रीलांसर या यूट्यूबर्स जैसे प्रोफेशनल्स के लिए ये प्लानिंग और भी ज़रूरी है, क्योंकि उनकी आमदनी अनियमित होती है।
- सीनियर सिटीज़न के लिए अलग-अलग सेक्शन जैसे 80TTB और 80D से भी अतिरिक्त छूट मिलती है।
एक रियल लाइफ केस स्टडी
नाम: पंकज वर्मा
प्रोफेशन: सॉफ्टवेयर इंजीनियर, गुरुग्राम
सैलरी: ₹1.60 लाख प्रति माह (सालाना ₹19.20 लाख)
उन्होंने किया ये:
- साल की शुरुआत में LIC और PPF में ₹1.5 लाख निवेश किया
- NPS में ₹50,000 डाला
- पेरेंट्स और फैमिली के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कराया (₹50,000)
- होम लोन लिया और ब्याज ₹1.9 लाख भर दिया
- बच्चों की स्कूल फीस ₹60,000 दी
- एक NGO को ₹1 लाख दान किया
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असर:
उनकी टैक्सेबल इनकम सिर्फ ₹9.7 लाख रह गई और उन्होंने सेक्शन 87A के तहत ₹7 लाख तक का टैक्स माफ करवाया और बाकी पर बहुत कम टैक्स भरना पड़ा – यानी लगभग शून्य टैक्स के बराबर।
कुछ जरूरी टिप्स जो हर किसी को अपनाने चाहिए
- टैक्स बचाने के लिए सिर्फ साल के अंत में न सोचें, साल की शुरुआत से ही निवेश की प्लानिंग करें।
- हेल्थ इंश्योरेंस लेना ना भूलें – ये न केवल टैक्स बचाता है, बल्कि मेडिकल इमरजेंसी में काम भी आता है।
- NPS में निवेश से भविष्य की पेंशन भी बनती है और टैक्स की भी बचत होती है।
- हर साल एक बार अपने टैक्स एडवाइज़र या फाइनेंशियल प्लानर से जरूर सलाह लें।
टैक्स बचाने का स्मार्ट और लीगल तरीका
अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी मेहनत की कमाई पर टैक्स कम से कम लगे, तो ऊपर बताए गए सारे विकल्पों को ध्यान में रखते हुए साल की सही प्लानिंग करें। भारत में टैक्स के नियम इतने लचीले हैं कि अगर आप सही जानकारी और निवेश के साथ चलें तो ₹19.20 लाख कमाने के बाद भी टैक्स न देना मुमकिन है। ये न सिर्फ आपकी फाइनेंशियल हेल्थ सुधारता है, बल्कि मानसिक शांति भी देता है।
याद रखें: टैक्स बचाना गलत नहीं है – बस तरीका सही होना चाहिए!
क्या जीन्स पहनना अब भी मॉडर्नीता का प्रतीक है?
हां, जी हां। जीन्स मॉडर्नीता को दर्शाती है।
क्या जीवन में सफलता की गारंटी है धन संग्रह?
नहीं, सफलता धन से नहीं, कर्म से आती है।
क्या ब्लॉगिंग आजकल एक व्यवसायिक करियर के रूप में मानी जानी चाहिए?
हां, ब्लॉगिंग आजकल एक लाभकारी करियर विकल्प है।
क्या बॉलीवुड के कलाकारों की जिंदगी वास्तविकता से दूर होती है?
हां, उनकी जिंदगी भी कई चुनौतियों से भरी होती है।
क्या मनोरंजन उत्पादों पर लगाया गया ज्यादा कर आपकी खरीदारी प्रवृत्ति पर असर डालता है?
हां, मनोरंजन उत्पादों का प्रभाव खरीदारी पर पड़ सकता है।