प्राइवेट स्कूल फीस कंट्रोल में! सरकार ने स्कूलों के लिए बनाए कड़े नियम, Govt Action on Private School Fee Hike

Private School (प्राइवेट स्कूल) : देशभर में लाखों माता-पिता हर साल इस बात से परेशान रहते हैं कि प्राइवेट स्कूलों की फीस लगातार बढ़ती जा रही है। कई बार तो फीस इतनी ज्यादा हो जाती है कि मिडल क्लास परिवारों के लिए बच्चों की पढ़ाई संभालना मुश्किल हो जाता है। इसी चिंता को देखते हुए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है और अब प्राइवेट स्कूलों पर लगाम कसने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं।

Private School की मनमानी पर लगाम लगाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

  • हर साल बिना पूर्व सूचना के फीस में भारी इज़ाफा
  • अतिरिक्त शुल्क जैसे कंप्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास फीस, डेवलपमेंट चार्ज आदि का बोझ
  • किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य सामग्री सिर्फ स्कूल के चुने हुए दुकानों से खरीदवाना
  • अभिभावकों की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करना

यह स्थिति खासतौर पर छोटे शहरों और कस्बों में ज़्यादा देखने को मिलती है, जहां माता-पिता के पास विकल्प कम होते हैं।

प्राइवेट स्कूल : मेरे खुद के अनुभव की बात करूं तो…

जब मेरे छोटे भाई को स्कूल में दाखिला दिलाया गया था, उस वक्त हमें सिर्फ ₹15,000 सलाना फीस बताई गई थी। लेकिन कुछ महीनों बाद “स्पेशल एक्टिविटी चार्ज” के नाम पर ₹7,000 और मांगे गए। जब हमने विरोध किया तो कहा गया कि अगर फीस नहीं दी तो बच्चा इवेंट्स में हिस्सा नहीं ले सकेगा। ऐसे हालात में हम जैसे लोगों के पास क्या विकल्प बचता है?

सरकार की नई गाइडलाइंस में क्या-क्या शामिल है?

सरकार ने अब प्राइवेट स्कूलों को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित अहम नियम लागू किए हैं:

  • फीस साल में सिर्फ एक बार ही बढ़ाई जा सकेगी
  • फीस बढ़ाने से पहले स्कूलों को सरकार से मंजूरी लेनी होगी
  • स्कूलों को अपनी पूरी फीस स्ट्रक्चर वेबसाइट पर डालनी होगी
  • किताबें और यूनिफॉर्म किसी खास दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा
  • हर जिले में एक फीस रेगुलेटरी कमिटी बनाई जाएगी

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रेगुलेटरी कमिटी का रोल क्या होगा?

क्र.सं. कार्य विवरण
1 फीस की निगरानी स्कूल द्वारा बढ़ाई गई फीस की जांच
2 शिकायत निवारण अभिभावकों की शिकायतों को सुनना और समाधान देना
3 रिपोर्ट तैयार करना सालाना रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार को देना
4 स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट देखना वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करना

इन नियमों से अभिभावकों को क्या फायदा होगा?

  • अब स्कूल मनमानी फीस नहीं बढ़ा पाएंगे
  • पारदर्शिता आएगी और हर चीज़ का रिकॉर्ड मिलेगा
  • अभिभावक अपनी बात स्कूल और सरकार तक पहुंचा सकेंगे
  • किताबें और ड्रेस की खरीदारी में स्वतंत्रता होगी

एक असली कहानी:

दिल्ली के रोहिणी इलाके की सीमा देवी, जो एक अकेली मां हैं, बताती हैं कि उनके बेटे के स्कूल ने हर तिमाही में फीस बढ़ाई। “जब मैंने आपत्ति जताई तो स्कूल ने कहा कि ये सब नई टेक्नोलॉजी के लिए है। लेकिन बच्चों को कभी वो सुविधाएं मिली ही नहीं।” अब नई गाइडलाइंस के आने से उन्हें उम्मीद है कि चीजें सुधरेंगी।

अभिभावकों को क्या करना चाहिए?

  • स्कूल द्वारा दिए गए फीस स्ट्रक्चर की प्रति संभालकर रखें
  • अगर फीस में किसी भी प्रकार की असामान्यता हो, तो रेगुलेटरी कमिटी में शिकायत करें
  • सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर जागरूकता फैलाएं
  • बच्चों को सरकारी स्कूलों या अच्छे लो-कॉस्ट प्राइवेट स्कूलों के विकल्प भी दिखाएं

राज्य सरकारों की भूमिका कितनी ज़रूरी है?

यह नियम तभी प्रभावी होंगे जब राज्य सरकारें सक्रिय होकर इन्हें लागू करें। कुछ राज्य जैसे महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा पहले ही ऐसे कदम उठा चुके हैं। बाकी राज्यों को भी जल्द से जल्द इस दिशा में कार्य करना होगा।

राज्य लागू नियम परिणाम
महाराष्ट्र फीस रेगुलेटरी एक्ट फीस बढ़ाने से पहले अनुमति ज़रूरी
पंजाब यूनिफॉर्म और किताबों की खुली बिक्री दुकानों की मनमानी खत्म
उत्तर प्रदेश फीस स्ट्रक्चर सार्वजनिक करना पारदर्शिता बढ़ी

भविष्य में क्या सुधार और किए जा सकते हैं?

  • स्कूलों की रेटिंग प्रणाली शुरू की जा सकती है
  • डिजिटल शिकायत पोर्टल को और मजबूत किया जा सकता है
  • हर स्कूल को सालाना रिपोर्ट कार्ड पब्लिक करना चाहिए
  • अभिभावक प्रतिनिधियों को स्कूल बोर्ड में जगह दी जाए

सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम एक बहुत बड़ा राहत है, खासकर उन लाखों परिवारों के लिए जो हर साल फीस के बोझ से परेशान रहते हैं। लेकिन इसका असली फायदा तब होगा जब नियम ज़मीन पर भी लागू किए जाएं। हम सबको मिलकर इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना होगा—जागरूक रहें, सवाल उठाएं और अपने बच्चों

क्या सरकार को स्कूल फीस पर नियंत्रण लागू करना चाहिए?

हां, यह जरूरी है ताकि विद्यार्थियों को अधिक बोझ न आए।

क्या प्राइवेट स्कूलों का फीस समान होना चाहिए?

हां, इससे शिक्षा के लिए समानता बढ़ेगी।

क्या सरकार को प्राइवेट स्कूलों की छात्रों के लिए स्वास्थ्य और व्यक्तिगत सुरक्षा की देखरेख करनी चाहिए?

हां, सरकार को छात्रों की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।

क्या प्राइवेट स्कूलों को अपने छात्रों के लिए स्थानिक समाजसेवा करनी चाहिए?

हाँ, स्कूलों को समाज के लिए योगदान देना चाहिए।

क्या सरकार को प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के वेतन पर भी नियंत्रण लागू करना चाहिए?

हां, शिक्षकों के वेतन पर भी नियंत्रण लागू करना चाहिए।

क्या प्राइवेट स्कूलों को छात्रों के लिए स्कॉलरशिप प्रदान करनी चाहिए?

हाँ, छात्रों के वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए।

क्या प्राइवेट स्कूलों को विद्यार्थियों के लिए काउंसलिंग सेवाएं प्रदान करनी चाहिए?

हां, यह स्कूली छात्रों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

क्या सरकार को प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए नाटकीय कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए?

हाँ, इससे शिक्षा में मनोरंजन और सीखने का आनंद बढ़ाया जा सकता है।

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