New Registry Rule (नया रजिस्ट्री नियम) : भूमि की रजिस्ट्री यानी जमीन के कागजों का पक्का होना अब और आसान बना दिया गया है। पहले जहां तहसील, पटवारी और लंबी प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता था, वहीं अब सरकार ने डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए इस प्रक्रिया को आसान बना दिया है। आइए जानते हैं कि अब बिना तहसील और पटवारी के जमीन की रजिस्ट्री कैसे होगी और इसका फायदा आम आदमी को कैसे मिलेगा।
New Registry Rule: क्या बदला है?
सरकार ने अब ऐसे नियम लागू कर दिए हैं जिनसे जमीन की रजिस्ट्री सीधे ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से हो सकेगी। पहले जमीन की स्थिति, खसरा-खतौनी और अन्य जानकारी के लिए पटवारी और तहसील का चक्कर लगाना पड़ता था। अब नया सिस्टम ये सब खुद-ब-खुद जांच कर लेता है।
- अब भू-अभिलेख पोर्टल और सब-रजिस्ट्रार कार्यालय आपस में लिंक हो गए हैं।
- ई-गवर्नेंस के तहत सारी जानकारी सीधे कम्प्यूटर सिस्टम से ली जा रही है।
- दस्तावेजों की फिजिकल वेरिफिकेशन की ज़रूरत नहीं है।
नए रजिस्ट्री प्रोसेस का पूरा तरीका
अब जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करना होगा:
- ऑनलाइन आवेदन करें – राज्य सरकार के राजस्व विभाग की वेबसाइट पर जाएं।
- संपत्ति की डिटेल भरें – खसरा नंबर, गांव, तहसील आदि की जानकारी डालें।
- ऑटो-वेरिफिकेशन – सिस्टम खुद सरकारी रिकॉर्ड से मिलान करेगा।
- फीस भुगतान – ऑनलाइन शुल्क का भुगतान करें।
- डिजिटल दस्तावेज तैयार – आपको डिजिटल पेपर और स्लिप मिलेगी।
- रजिस्ट्री ऑफिस जाकर अंतिम सत्यापन – अंतिम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा सकते हैं या e-sign का विकल्प चुन सकते हैं।
मुख्य लाभ आम जनता को
इस नई व्यवस्था से आम लोगों को कई फायदे होंगे:
- समय की बचत: अब महीनों नहीं, कुछ ही दिनों में रजिस्ट्री हो सकेगी।
- भ्रष्टाचार में कमी: पटवारी, लेखपाल या दलालों के चक्कर से मुक्ति।
- डिजिटल रिकॉर्ड: सभी दस्तावेज़ डिजिटली सुरक्षित रहेंगे।
- पारदर्शिता: हर प्रक्रिया ट्रैक की जा सकती है।
- सुरक्षा: कोई भी जालसाजी पकड़ में आ सकेगी क्योंकि डेटा ऑटोमैटिक सिस्टम से चेक होगा।
एक आम किसान की सच्ची कहानी
राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले किसान रामचरण यादव ने नई व्यवस्था का लाभ सबसे पहले उठाया। पहले उन्हें अपनी पुश्तैनी ज़मीन की रजिस्ट्री के लिए तीन बार तहसील और दो बार पटवारी से मिलना पड़ा था। फिर भी प्रक्रिया में देरी हो रही थी। अब उन्होंने पोर्टल से खुद आवेदन किया और 4 दिनों में उन्हें डिजिटल रजिस्ट्री मिल गई। रामचरण बताते हैं कि – “पहले हर कदम पर किसी ना किसी को पैसे देने पड़ते थे, अब सब कुछ सीधा-सादा और पारदर्शी है।”
किन राज्यों में शुरू हुआ है ये सिस्टम?
फिलहाल कुछ राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा इस नई प्रणाली पर काम कर चुके हैं या ट्रायल बेस पर लागू कर रहे हैं। आने वाले समय में सभी राज्यों में यह सिस्टम लागू किया जाएगा।
राज्यों की स्थिति तालिका
राज्य | स्थिति | पोर्टल की सुविधा | समय लगने की अवधि |
---|---|---|---|
उत्तर प्रदेश | लागू | उपलब्ध | 3-5 दिन |
मध्यप्रदेश | आंशिक रूप से लागू | उपलब्ध | 4-6 दिन |
राजस्थान | लागू | पूरी तरह | 2-4 दिन |
महाराष्ट्र | ट्रायल पर | सीमित क्षेत्र | 5-7 दिन |
हरियाणा | लागू | उपलब्ध | 3-5 दिन |
किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?
नया सिस्टम होने के बावजूद कुछ मूल दस्तावेजों की जरूरत बनी रहेगी:
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड (यदि संपत्ति 10 लाख से अधिक की है)
- खसरा और खतौनी नंबर
- बिजली का बिल या पहचान पत्र (पते के प्रमाण के लिए)
- विक्रेता और खरीदार की पासपोर्ट साइज फोटो
क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
- वेबसाइट का सही चयन करें – हमेशा राज्य सरकार की अधिकृत वेबसाइट का ही उपयोग करें।
- गलत जानकारी न भरें – सिस्टम स्वतः सत्यापन करता है, गलत जानकारी फाइल रिजेक्ट करा सकती है।
- रजिस्ट्री की रसीद और दस्तावेज़ डाउनलोड कर सुरक्षित रखें।
- अगर कोई एजेंट ज़रूरत से ज़्यादा शुल्क मांगे तो उसकी रिपोर्ट करें।
बदलाव जो वाकई ज़िंदगी आसान बनाए
जमीन की रजिस्ट्री को डिजिटल करना एक बहुत बड़ा बदलाव है, खासकर ग्रामीण और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए। अब किसी को बार-बार दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। पारदर्शिता और सुगमता के चलते अब हर व्यक्ति अपने हक की ज़मीन को आसानी से अपने नाम करा सकता है।
व्यक्तिगत अनुभव: मैंने स्वयं अपने गांव की ज़मीन की रजिस्ट्री इसी पोर्टल के माध्यम से की है। पहले के मुकाबले यह अनुभव बहुत ही सहज और भरोसेमंद रहा। ना कोई लाइन, ना कोई रिश्वत – सब कुछ फोन और कंप्यूटर के जरिए हो गया। इसलिए मेरी सलाह है कि अगर आपके पास कोई जमीन है या खरीदने जा रहे हैं, तो इस डिजिटल प्रक्रिया को ज़रूर अपनाएं।
आशा है यह जानकारी आपके लिए लाभकारी रही होगी।