Indian Railway New Scheme (भारतीय रेलवे नई योजना) : पिछले कुछ वर्षों में रेलवे और अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में दी जा रही छूटों को लेकर काफी चर्चा रही है। खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए किराए में दी जाने वाली रियायतें एक समय पर बहुत मददगार साबित होती थीं, लेकिन हालिया सालों में इन छूटों को या तो बंद कर दिया गया या काफी हद तक सीमित कर दिया गया। अब सवाल ये उठ रहा है—क्या सरकार एक बार फिर इन वर्गों को राहत देने की योजना बना रही है?
Indian Railway New Scheme : रेलवे टिकट में वरिष्ठ नागरिकों को मिलती थी छूट
रेलवे विभाग पहले वरिष्ठ नागरिकों को टिकट में बड़ी छूट देता था।
- पुरुष वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से ऊपर) को 40% की छूट मिलती थी।
- महिलाओं (58 वर्ष से ऊपर) को 50% की छूट दी जाती थी।
लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के बाद यह सुविधा अस्थायी रूप से बंद कर दी गई। और अब तक इसे पूरी तरह से फिर से लागू नहीं किया गया है।
भारतीय रेलवे नई योजना : क्या फिर से शुरू होगी यह सुविधा?
हाल के बजट और सरकारी बयानों में यह संकेत मिले हैं कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है।
रेल मंत्री ने संसद में बताया था कि छूट की समीक्षा की जा रही है और जल्द ही फैसला लिया जाएगा।
संभावित कारण जिनसे यह सुविधा दोबारा शुरू हो सकती है:
- वरिष्ठ नागरिकों की आर्थिक स्थिति सामान्य लोगों की तुलना में कमजोर होती है।
- महिलाएं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, आज भी आर्थिक रूप से पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं हैं।
- सरकार “सबका साथ, सबका विकास” के अंतर्गत समावेशी नीतियों को प्राथमिकता दे रही है।
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आम लोगों के अनुभव: छूट का असर जिंदगी पर
उदाहरण 1:
लखनऊ की 65 वर्षीय सरस्वती देवी, हर साल अपने बेटे से मिलने दिल्ली जाती हैं। पहले जब छूट मिलती थी, तो उन्हें ₹900 का टिकट मात्र ₹540 में मिल जाता था। अब उन्हें पूरी रकम देनी पड़ती है, जिससे वो एक साल में एक बार से ज्यादा यात्रा नहीं कर पातीं।
उदाहरण 2:
भोपाल के 62 वर्षीय रामदयाल शर्मा, पेंशन पर निर्भर हैं। उनका कहना है कि छूट खत्म होने के बाद उन्हें छोटी यात्राओं के लिए भी कई बार सोचना पड़ता है।
इस तरह की वास्तविक कहानियां यह साबित करती हैं कि छूट केवल पैसे की बात नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्रता और आत्मसम्मान से भी जुड़ी है।
छूट वापस मिलने के फायदे
अगर सरकार फिर से यह सुविधा बहाल करती है, तो इससे कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं:
- अधिक यात्रा की सुविधा: वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं बिना आर्थिक बोझ के यात्रा कर सकेंगे।
- सामाजिक जुड़ाव: बुजुर्ग परिवार से मिलने अधिक जा पाएंगे, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा।
- स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच: सस्ती यात्रा की सुविधा मिलने से डॉक्टर और अस्पतालों तक जाना आसान होगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: घरेलू पर्यटन को बल मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
सरकार की रणनीति: छूट या वैकल्पिक योजनाएं?
सरकार ने यह संकेत दिए हैं कि वह पूरी छूट की जगह कुछ वैकल्पिक उपायों पर भी विचार कर रही है:
- स्लैब आधारित छूट: उम्र के अनुसार अलग-अलग प्रतिशत की छूट देना।
- डिजिटल वेरिफिकेशन: वरिष्ठ नागरिकों के लिए ऑनलाइन आईडी से छूट मिलना।
- वार्षिक पास: एक बार शुल्क लेकर पूरे साल के लिए छूट उपलब्ध कराना।
मेरी निजी राय और अनुभव
मेरे खुद के परिवार में बुजुर्ग सदस्य हैं, और मैंने देखा है कि कैसे टिकट में छूट मिलने पर वो ज्यादा आत्मनिर्भर महसूस करते थे।
मेरी माँ, जो अब 60 वर्ष की हो चुकी हैं, हमेशा कहती हैं कि वो छूट की वजह से अकेले भी यात्रा करने में सक्षम थीं।
अब जब ये सुविधा नहीं है, तो उन्हें बार-बार सोचना पड़ता है कि कहां जाएं और कहां नहीं।
उम्मीद की किरण
सरकार ने अब तक कोई स्पष्ट तारीख नहीं दी है कि कब यह सुविधा फिर से शुरू होगी, लेकिन चर्चाएं जोरों पर हैं।
यदि आप भी चाहते हैं कि यह सुविधा वापस आए, तो सोशल मीडिया पर अपनी राय साझा करें, अपने सांसद को पत्र लिखें या जनभागीदारी अभियानों में हिस्सा लें।
याद रखें:
- यह सिर्फ टिकट में छूट नहीं, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों के आत्मसम्मान और स्वतंत्रता की बात है।
- महिलाओं के लिए यह सुविधा, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ आर्थिक स्वतंत्रता सीमित है, बहुत बड़ी राहत बन सकती है।
आशा है कि आने वाले दिनों में सरकार इस पर सकारात्मक कदम उठाएगी और एक बार फिर वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को राहत मिलेगी।