FASTag System (फास्टैग सिस्टम) : अब तक गाड़ियों से टोल वसूलने के लिए FASTag सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे लोगों को लंबी कतारों से राहत मिलती थी। लेकिन अब सरकार एक और आधुनिक तकनीक की ओर बढ़ रही है – सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग सिस्टम। इस नए बदलाव का असर करोड़ों वाहन चालकों पर पड़ेगा। इस लेख में हम इसी तकनीक के पीछे की पूरी जानकारी देंगे, ताकि आप तैयार रहें बदलाव के लिए।
FASTag System क्यों हो रहा है सिस्टम बंद?
सरकार के अनुसार, FASTag सिस्टम ने टोल कलेक्शन में पारदर्शिता तो बढ़ाई है, लेकिन इसके बावजूद कुछ बड़ी समस्याएं रह गई थीं:
- कई टोल प्लाजा पर जाम की स्थिति अभी भी बनी रहती है
- कुछ वाहन चालक FASTag का दुरुपयोग कर रहे थे
- टोल चोरी के मामले बढ़ रहे थे
- कई बार FASTag रिचार्ज की समस्या भी सामने आती है
इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार अब सैटेलाइट के जरिए टोल वसूली करने वाली प्रणाली लागू करने जा रही है।
फास्टैग सिस्टम : नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
इस नए सिस्टम को GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम कहा जा रहा है। इसका कार्य इस प्रकार होगा:
- वाहन के GPS ट्रैकर से सैटेलाइट कनेक्ट रहेगा
- वाहन जैसे ही टोल जोन में एंटर करेगा, उसकी लोकेशन रिकॉर्ड हो जाएगी
- वाहन जितनी दूरी टोल वाले रास्ते पर चलेगा, उसी हिसाब से टोल कटेगा
- कोई टोल बूथ या मैन्युअल इंटरैक्शन की ज़रूरत नहीं होगी
क्या होगा बदलाव का फायदा?
इस सिस्टम से लोगों को कई तरह के फायदे होंगे:
- टोल प्लाजा पर रुकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी
- लंबी कतारों से छुटकारा मिलेगा
- टोल भुगतान पूरी तरह डिजिटल और रियल-टाइम होगा
- टोल चोरी की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी
- वाहन मालिकों को ट्रांसपेरेंट डिटेल्स मिलेंगी
कब से लागू होगा नया सिस्टम?
सरकार की योजना के मुताबिक, यह नया GNSS बेस्ड टोल सिस्टम मई 2025 से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। पहले इसे चुनिंदा एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे पर लागू किया जाएगा। उसके बाद पूरे देश में इसे पूरी तरह से लागू किया जाएगा।
किन दस्तावेजों की जरूरत होगी?
जो लोग नए सिस्टम में अपना वाहन पंजीकृत कराना चाहते हैं, उन्हें निम्नलिखित दस्तावेज देने होंगे:
- वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC)
- वैध मोबाइल नंबर
- बैंक खाते की जानकारी या UPI लिंक
- GPS ट्रैकर की डिटेल (सरकार द्वारा प्रमाणित डिवाइस)
पुराना FASTag कैसे होगा बेअसर?
जैसे ही नया सिस्टम लागू होगा, FASTag का इस्तेमाल बंद हो जाएगा। हालांकि सरकार एक ट्रांजिशन पीरियड देगी जिसमें दोनों सिस्टम साथ चल सकते हैं। इसके बाद पुराने FASTag यूजर को GNSS सिस्टम में माइग्रेट करना अनिवार्य होगा।
एक आम ड्राइवर की कहानी
दिल्ली के रहने वाले रमेश जी, जो रोज़ाना ऑफिस आने-जाने में टोल प्लाजा से गुजरते हैं, कहते हैं – “FASTag से राहत तो मिली, पर कभी-कभी स्कैन न होना, रिचार्ज की समस्या और टोल पर अटकना आम बात है। अगर ये नया सिस्टम सही से लागू हो जाए तो हम जैसे लाखों लोगों को बहुत फायदा होगा।”
सरकार का नजरिया और लक्ष्य
सरकार का मकसद है कि 2030 तक भारत के सभी नेशनल हाईवे पर टोटल डिजिटल और फुली ऑटोमैटिक टोल कलेक्शन सिस्टम लागू हो जाए। इससे न सिर्फ सिस्टम पारदर्शी होगा, बल्कि सालाना करोड़ों रुपये का फालतू ईंधन खर्च भी बचेगा।
चुनौतियाँ भी होंगी
हालांकि यह सिस्टम बहुत एडवांस है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी रहेंगी:
- GPS ट्रैकर की लागत
- ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर
- डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा
- पुरानी गाड़ियों में डिवाइस इंस्टॉल करना
अगर आप वाहन चालक हैं तो यह आपके लिए बहुत अहम खबर है। FASTag का दौर अब खत्म होने की कगार पर है, और नया सैटेलाइट-बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम देश में ट्रांसपोर्ट को और ज्यादा स्मार्ट बनाने जा रहा है। समय रहते खुद को इस बदलाव के लिए तैयार करें, ताकि बाद में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।