Check Bounce New Guideline (चेक बाउंस नई गाइडलाइन्स 2025) : आज के समय में बहुत से लोग अब भी पेमेंट के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं, चाहे वो किराया देना हो, बिज़नेस पेमेंट हो या कोई और लेन-देन। लेकिन अगर चेक बाउंस हो जाए यानी बैंक उसे प्रोसेस न करे, तो बहुत सारी दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं। हाल ही में 2025 में बैंकिंग नियमों में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं, जो आम लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। इस लेख में हम समझेंगे कि चेक बाउंस होने पर अब क्या नए नियम हैं, क्या करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
Check Bounce New Guideline क्या होता है और ये क्यों होता है?
जब हम किसी को चेक देते हैं और वो व्यक्ति उसे बैंक में जमा करता है, लेकिन बैंक उस चेक को किसी कारण से ‘डिशॉनर’ कर देता है यानी रिटर्न कर देता है, तो उसे ‘चेक बाउंस’ कहते हैं।
आम कारण चेक बाउंस होने के:
- अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस न होना
- गलत सिग्नेचर
- चेक की वैलिडिटी खत्म हो जाना
- ओवरराइटिंग या कटिंग
- तकनीकी कारण जैसे MICR कोड सही न होना
2025 की नई चेक बाउंस गाइडलाइन्स – जानिए क्या बदला है?
2025 में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और अन्य बैंकों ने चेक बाउंस से जुड़ी कई गाइडलाइन्स में बदलाव किए हैं। इन बदलावों का मकसद है पेमेंट प्रक्रिया को और मजबूत और भरोसेमंद बनाना।
नई गाइडलाइन्स में मुख्य बिंदु:
- अब चेक बाउंस पर तुरंत SMS और ईमेल से सूचना दी जाएगी।
- बार-बार चेक बाउंस करने पर बैंक खाता हो सकता है फ्रीज़।
- ऐसे मामलों में CIBIL स्कोर पर भी असर पड़ेगा।
- एक निर्धारित सीमा से ऊपर के चेक बाउंस मामलों की जानकारी सीधे RBI को दी जाएगी।
और देखें : RBI का नोट बदलाव प्लान
नया जुर्माना (2025 से लागू):
उल्लंघन | पहले का जुर्माना | नया जुर्माना (2025) |
---|---|---|
पहली बार चेक बाउंस | ₹500 – ₹1000 | ₹1500 |
दोबारा बाउंस (6 महीनों में) | ₹1000 – ₹2500 | ₹3000 |
बार-बार बाउंस (3 बार से ज़्यादा) | केस-टू-केस | ₹5000 + अकाउंट निगरानी |
अगर आपका चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?
अगर गलती से या किसी कारणवश आपका चेक बाउंस हो गया है, तो घबराएं नहीं। नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:
1. तुरंत पेमेंट करें:
- अगर बैलेंस की कमी से चेक बाउंस हुआ है, तो तुरंत पेमेंट करें या दूसरा माध्यम चुनें जैसे UPI या बैंक ट्रांसफर।
2. सामने वाले को सूचित करें:
- अपने व्यवहार से भरोसा बनाएं और सामने वाले को स्थिति स्पष्ट करें।
3. बैंक से डिशॉनर स्लिप लें:
- यह स्लिप कानूनी मामलों में उपयोगी होती है।
4. दोबारा वही चेक न दें:
- बेहतर होगा कि नया चेक बनवाएं।
5. भविष्य के लिए सावधानी रखें:
- चेक देने से पहले बैलेंस चेक करें, डेट सही डालें और सिग्नेचर क्लियर हो।
रियल लाइफ उदाहरण – ताकि समझने में आसानी हो
उदाहरण 1: राजू जी, जो एक किरायेदार हैं, हर महीने मकान मालिक को चेक देते हैं। एक बार उनके अकाउंट में ₹1000 कम थे और चेक ₹8000 का था। बैंक ने चेक रिटर्न कर दिया। मकान मालिक ने नाराज होकर लीगल नोटिस भेज दिया। अब नए नियमों के अनुसार राजू जी को जुर्माना भी देना पड़ा और CIBIL स्कोर भी प्रभावित हुआ।
उदाहरण 2: सीमा एक बुटीक चलाती हैं और उन्होंने एक कस्टमर से ₹15,000 का चेक लिया। चेक बाउंस हो गया। उन्होंने तुरंत डिशॉनर स्लिप ली और कस्टमर को कानूनी नोटिस भेजा। नए नियमों के चलते बैंक ने कस्टमर का खाता अस्थायी रूप से फ्रीज़ कर दिया और भुगतान हुआ।
क्या चेक बाउंस करना अपराध है?
जी हां, भारत में चेक बाउंस होना Negotiable Instruments Act, 1881 के तहत अपराध है। धारा 138 के अनुसार:
- चेक बाउंस होने पर लीगल नोटिस भेजा जा सकता है।
- अगर भुगतान तय समय में नहीं हुआ, तो केस कोर्ट में जा सकता है।
- दोषी को 2 साल की जेल या दोगुनी राशि का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
चेक बाउंस से बचने के आसान टिप्स
- चेक जारी करने से पहले बैलेंस ज़रूर चेक करें।
- हर चेक में डेट और अमाउंट सही भरें।
- चेक पर अधिक कटिंग या ओवरराइटिंग न करें।
- एक बार में एक ही पेन का इस्तेमाल करें।
- इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट को प्राथमिकता दें, जैसे कि NEFT, RTGS, या UPI।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव
मेरे एक क्लाइंट ने कुछ साल पहले एक प्रॉपर्टी डील के लिए ₹50,000 का चेक दिया था। चेक बाउंस हुआ और हमने कानूनी कार्रवाई की। लेकिन अगर उसी समय सामने वाला व्यक्ति बातचीत कर लेता और तुरंत भुगतान कर देता, तो कोर्ट-कचहरी का झंझट बच जाता। तभी से मैंने खुद भी यह सीखा कि चेक देने से पहले कम से कम बैलेंस की पुष्टि ज़रूर कर लूं।
चेक बाउंस से सतर्क रहना ही समझदारी है
2025 की नई गाइडलाइन्स से यह साफ है कि अब चेक बाउंस को हल्के में नहीं लिया जाएगा। बैंक और कानून दोनों अब ज्यादा सख्त हो चुके हैं। इसलिए चाहे आप बिज़नेस करते हों या नौकरीपेशा हों, अपने वित्तीय व्यवहार में सावधानी बरतें।
याद रखें: भरोसा, समय पर पेमेंट और सावधानी – ये तीन चीजें आपको चेक बाउंस की मुसीबत से दूर रख सकती हैं।
चेक बाउंस करने पर क्या हो सकता है?
चेक बाउंस करने पर दंड और फाइन हो सकता है।
चेक बाउंस से कितनी दिनों में हो सकता है कार्रवाई?
चेक बाउंस उसी दिन या अगले दिन हो सकता है।
क्या चेक बाउंस करने पर क्रिमिनल केस दर्ज हो सकता है?
हां, चेक बाउंस करने पर क्रिमिनल केस दर्ज हो सकता है।
चेक बाउंस करने पर बैंक से कितनी दिनों में खाता बंद हो सकता है?
बैंक से खाता 30 दिन के भीतर बंद कर सकता है।
चेक बाउंस करने पर खाता सीज होने का असर?
खाता सीज होने में 30 दिन लग सकते हैं।
चेक बाउंस होने पर क्या बैंक को आपके खाते से निकालने का हक होता है?
हां, चेक बाउंस होने पर बैंक को आपके खाते से निकालने का हक होता है।
चेक बाउंस करने पर क्या खास ध्यान रखना चाहिए?
संपर्क बैंक से, वापसी चेक, और वित्तीय सुझाव मांगें।